सोमवार, २४ जानेवारी, २०२२

दो लब्जो की प्रेमकहाणी (भाग ४) चिडा चीडी की कहाणी

     चिडा अपणी पुरानी जगह पहुचाने के बाद अपने परिवार वालो को धुंढकर एक नये पेड पे नयी जगह एक अच्या सा घोसला बनाता हैं जीस घोसले मे वह पुरा परिवार और चिडा चीडी रह सके ,  

     यहाँ वह चिडी चिडा की हर वक्त याद करती रहती हैं वह चिडा जहा से उडा था ऊस जगह बैठ के ऊसी के इंतजार मे रहती थी ., ऐसे ही बहुत दीन गुजर जाणे के बाद चिडा अपनी चिडी को लाने के लिये वाहा से उड जाता है , बहुत देर तक उड ने के बाद चिडा एक पेड के डाली पे बैठं कर आराम करणे लग जाता है और पास ही के तालाब मे पाणी पिने के लिये वाहा जाता है वह पाणी पिणे ही वाला था तभी पिचे से एक लडका ऊस चिडा को पत्थर मारता हैं और चिडा वही घायल होके कुछ देर तडफने के बाद अपने संसो को छोड देता है , और दुसरी तरफ चिडिया अपने चिडा के इंतजार करते करते खाना पिना छोड देती हैं , और कुछ ही देर मे वह इस दुनिया को छोड देती हैं .....
      हमारे चिडा चिडी की प्यार की कहाणी यही तक है , इस प्यार की कहाणी से हमे एक सीख जरूर मिलती है की हामारा प्यार वही होना चाहिए जीसे आपनी जरुरत हो... जैसे चिडा और चिडी को एक दुसरे की जरुरत थी ..          और एक बात याद से काहणा चाहंगा की कभी भी किसी भी पशू पक्षी पंचि को जान बुझकर पत्थर ना मारे ... किसी की किसमे जान अडकी हुई हो कह नाही सकते...🙏🙏🙏धन्यवाद 
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दो लब्जो की प्रेमकहाणी (भाग ३) चिडा चिडिया प्रेमकहाणी

....बहुत घुमेंगे,  खेलेंगे पुरी जिंदगी साथ रहेंगे ., चिडा भी कहता हैं की हा ये भी ठीक है, जब दोनो वाहा के घोसले से उडणे वाले होते हैं तो चिडा कहता हैं की, हम तो यहा सब छोडके जाणे वाले हैं लेकीन वाहा रहेंगे काहा, खायेंगे क्या हम ऐसा करते हैं की , पहले हम जाते हैं अपना परिवार धूंढते हैं वाहा का अपना घोसला ठीक करते हैं जो तुफान से तूट गया था, फिर हम आपको लेणे आयेंगे ... चिडिया का दिलं नहि मानता था लेकीन वो भी क्या करती... फिर भी चिडिया ने चिडा को रोकणे की नाकाम कोशिश की , फिर चिडा को जाणे के लिये हा कर देती हैं , जब चिडा उडणे वाला होता हैं तब चिडिया कहती हैं की, अगर वाहा सब कुच ठीक ना हुवा तो सब को लेकर याहा आईयेगा ..हम सब साथ मे रहेंगे.., ओर हम आपका याही इंतजार करेंगे .. चिडा थोडा सां मुस्कुराके वाहा से उड् जाता है ., 
..........to be countinue....
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दो लब्जो की प्रेमकहाणी (भाग २) चिडा चिडिया की कहाणी ..

... शायद वो दोनो एक दुसरे से मोहब्बत करते थे , जो चिडिया थी वह अकेली होणे के कारण अपने दिलं की बात किसिसे भी कर नहीं सकती थी इसिलिये चिडिया अपने जिंदगी से खुश नहीं थी तो दुसरी तरफ चिडा खराब मौसम के कारण वह अपने परिवार से बिछड गया था और वह जब अकेला था उसे किसी की सहारे की जरुरत थी उसी समय चिडिया ने चिडा को साथ दिया.. यही कारण था की चिडा और चिडिया एक दुसरे से मोहब्बत करते थे ... वे एक दुसरे से अलग नहि रहणा चाहते , एक दुसरे के सिवा नहीं रह सकते थे.., 

     लेकीन एक दीन फिर से मौसम अच्या हो जाता है, चिडा को अपने घरवालो की घोसले की , परिवार , जगाह , नदी तलाब,  पेड सब की याद आती है . चिडा अपने दिल की बात चिडिया को बताता हैं की हमे हमारे घर ,परिवार , जगह , नदी, तलाव , पेड , दोस्तों की बहुत याद आ रही है उनके सिवा हमारा दिल कहीं और नहीं लग रहा है , यह बात सुनकर पहले चिडिया नाराज हो जाती हैं, लेकीन थोडी देर मे खुश होकर बोलती हैं की, ठीक हैं  , हम भी आपके साथ आयेंगे , अब आपका जो कुछ हैं वो हमारा ही हैं सुख, दुःख , परिवार , घोसला , वाहा के पेड , नादिया, झरणे ,तालाब हम दोनों वाहा खूब सैर करेंगे , बहुत घुमेंगे , खेलेंगे पुरी जिंदगी साथ रहेंगे.....
..........to be continue..
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दो लब्जो की प्रेमकहाणी ( भाग एक ) चिडा और चिडिया की प्रेमकहाणी do labjo ki prem kahani , chida chidiya prem kahani #chida_chidiya #love_story

     हमारी आज की कहाणी कुछ ऐसी ही हैं .., दो लब्जो की प्रेमकहाणी .. यह कहाणी हैं चिडा और चिडिया की. , चिडा और चिडिया यह दोनो एक दुसरे से बेइंतहा प्यार करते थे , बेईंतहा मतलब बहुत ज्यादा प्यार जो एक दुसरे से कभी भी जुदा नहीं होना चाहते थे.

     एक अकेली चिडिया थी जो नदी के किनारे पेड पर एक घोसला करके रहती थी उसका कोई साथी नही था. कोई दोस्त नाही था  . वह रोज सूबह नदी के किनारे बैठती तो कभी पेड के डाली पे बैठतीं . उसके जिंदगी में कुछ भी नया नही था, तो वह अपने जिंदगी से पुरी तरहा से ऊब चुकी थी. वह कभी कभी सोचति थी की , " यार में जी ही क्यो रही हू, " इतना अकेला पण कोई दोस्त नहीं कोई साथी नहीं नाही मे खुल के कीसिसे अपने दिल की बात कर सकती हुं..

     एकदिन किसी दूर जगह का मौसम खराब होणे के कारण एक चिडा उडता हुवा ऊस चिडिया के घोसले के पास आ जाता है, और कुछ ही देर मे उन दोनो मे गहरी दोस्ती हो जाती है..वह दोनो भी एक दुसरे के बारे मे ही सोचते थे वो दोंनो शायद एक दुसरे से मोहब्बत करते थे ...
..........to be continue...
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शुक्रवार, २१ जानेवारी, २०२२

थंडीचा महिना ( वर्हाडी कविता )

थंडीचा महिना
२०२२ चा पहिला महिना 
थंडी पण सरायचा नाव घेईना 
ज्या ज्या घरांची लांबी लांबी भिंती
शेकोटीच कुठ पेटलेली सापडेना 

गल्लीवर उभा राहून 
जेव्हा दूर - दूर मी पाहतो
दुपटाच पांढर वार 
काय माहित कुठ हरविल

ज्याच्या त्याच्या घरातून
आवाज येतो मोठ्याने टिव्हीचा 
थंडी हाय की नाही हाय 
मालुमचत पडत नाही

सकाळी सकाळी दुलाईच
असते लयच गरम - गरम
चहा सोबत खायला 
मिळते ब्रेड अन पाव नरम नरम 
 
घराशेजारच्या झाडावर 
पक्षांची चिवचिवाट असते 
थंडीचा महिना लयच
बहारदार दिसते....

#नामवंत_प्रभे अमरावती 

मंगळवार, १८ जानेवारी, २०२२

अनाथांची आई .., सिंधू ताई सपकाळ

अनाथांची आई
नजरा खिळत होत्या 
पदर जो फाटलेला होता
या बईमान जिंदगी ने
हात माझा पकडला होता

निसटत चालले होते आयुष्य
नकोसे ते दिवस होते
फिरून फिरून या जिंदगाणीला
हळ्यांच्या चोचीसारखे टोचत होते

सांगायचे होते कोणाला
घरच्यांना की दारच्यांना
मृत पावलेले अश्रू माझे
सोबती केले त्या अनाथांना 

फिरत होती पोटासाठी
वासनेच्या नजरा त्या झेलत होती
वाचविण्यासाठी या इज्जतीला
स्मशानात सुद्धा झोपत होती

बाई ची आई होता होता
दुःखाचा पहाड कसा चढून गेली
सोबती न कोणी माझे होते
अनाथांची आई कशी होऊन गेली

  #नामवंताच्या कविता दिनांक ४ जानेवारी २०२२

भारताचे संविधान कोणी लिहिले? प्रेम बिहारी नारायण रायजादा/ संविधान सभा/ मसुदा समिती

आपल्या सर्वांना माहीतच आहे की डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकरांनी अथक प्रयत्न करून भारतामध्ये जगातील सर्वात मोठी लोकशाही रुजवण्यात यशस्वी झालेत. जर...