चिडा अपणी पुरानी जगह पहुचाने के बाद अपने परिवार वालो को धुंढकर एक नये पेड पे नयी जगह एक अच्या सा घोसला बनाता हैं जीस घोसले मे वह पुरा परिवार और चिडा चीडी रह सके ,
यहाँ वह चिडी चिडा की हर वक्त याद करती रहती हैं वह चिडा जहा से उडा था ऊस जगह बैठ के ऊसी के इंतजार मे रहती थी ., ऐसे ही बहुत दीन गुजर जाणे के बाद चिडा अपनी चिडी को लाने के लिये वाहा से उड जाता है , बहुत देर तक उड ने के बाद चिडा एक पेड के डाली पे बैठं कर आराम करणे लग जाता है और पास ही के तालाब मे पाणी पिने के लिये वाहा जाता है वह पाणी पिणे ही वाला था तभी पिचे से एक लडका ऊस चिडा को पत्थर मारता हैं और चिडा वही घायल होके कुछ देर तडफने के बाद अपने संसो को छोड देता है , और दुसरी तरफ चिडिया अपने चिडा के इंतजार करते करते खाना पिना छोड देती हैं , और कुछ ही देर मे वह इस दुनिया को छोड देती हैं .....
हमारे चिडा चिडी की प्यार की कहाणी यही तक है , इस प्यार की कहाणी से हमे एक सीख जरूर मिलती है की हामारा प्यार वही होना चाहिए जीसे आपनी जरुरत हो... जैसे चिडा और चिडी को एक दुसरे की जरुरत थी .. और एक बात याद से काहणा चाहंगा की कभी भी किसी भी पशू पक्षी पंचि को जान बुझकर पत्थर ना मारे ... किसी की किसमे जान अडकी हुई हो कह नाही सकते...🙏🙏🙏धन्यवाद
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